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अक्तूबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

फटी ऐडिया (क्रैक हिल्स) कारण और हर्बल इलैक्ट्रोहोम्योपैथिक उपचार

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  आज हम बात करेंगे क्रैक हिल्स की समस्या के कारण होने वाली परेशानी व उपाय के बारे मे यह समस्या ज्यादातर सर्दी के मौसम मे परेशान करती है। वैसे तो यह समस्या नार्मल है परन्तु कभी -कभी इस ओर ज्यादा ध्यान न देने से यह बढ भी जाती है , धीरे - धीरे ऐडियो मे दरारे गहरी हो जाती है और इनमे जलन व दर्द होने लगता है । इसलिए ऐडियो की दरारो को इग्नोर करना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है क्योंकि अगर आप अपनी ऐडियो का ख्याल नही रखेगे तो इन दरारो मे धुल मिट्टी जाने से समस्या ओर बढ जायेगी । जिससे इन्फेक्शन होने का खतरा बढ जाता है और दरारो से खून भी आ सकता है और सूजन आ जाती  है । क्रैक हिल्स होने पर कॉन्फिडेंस मे कमी आती है ओर सैन्डल या जूते पहनने मे आपको परेशानी महसूस होगी। आपको चलने फिरने मे आफिस आने जाने मे या सीढिया चढते उतरते समय परेशानी का सामना करना पडता है। कुछ बातो का ध्यान रखने से इस समस्या से बचा जा सकता है । > सर्दियो मे सूती जुराब पहने > पानी ज्यादा पीये > नहाते समय अपने पैरो की सफाई अच्छे से करे > नंगे पैर न रहे हो सके तो काॅटन के जूते पहने क्रैक हिल्स के क्या कारण है -: क्र

मेनोपॉज और प्री मेनोपॉज के कारण लक्षण और इलैक्ट्रोहोम्योपैथी उपचार

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क्या है रजोनिवृत्ति ? रजोनिवृत्ति का मतलब है महिला के पीरियड्स का पूर्ण रूप से बंद हो जाना । एक साल तक पीरियड्स (मासिक धर्म) न होने पर इसे मेनोपॉज (रजोनिवृति) माना जाता है। यह एक सामान्य प्रकिया है जिससे हर महिला गुजरती है यह मेनोपॉज 50 की उम्र के आसपास होती है । और इसे नियंत्रित नही किया जा सकता यह एक प्राकृतिक क्रिया है । मेनोपॉज से महिलाओ मे ओवुलेशन की प्रकिया बंद हो जाती है ओर फिर वे गर्भधारण नही कर सकती है । मेनोपॉज के कुछ लक्षण सामान्य तथा कभी - कभी गंभीर लक्षण भी प्रकट होते है ,जो की प्राकृतिक होते है इन लक्षणो को अन्य चिकित्सा पद्धतियो मे नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है परन्तु इनके दुष्प्रभाव होते है। अतः जहाँ तक संभव हो मेडिसिन का प्रयोग ना करे ओर इस प्राकृतिक क्रिया के लिए  महिलाओ को चाहिए कि वह  स्वयं को इस क्रिया के लिए मानसिक रूप से तैयार कर ले। मेनोपॉज के लक्षण-: ¤ नींद न आना या कम आना ¤ कामेच्छा की कमी होना ¤ योनि मे ड्राईनेस होना ¤ सिरदर्द होना आदि। मेनोपॉज के गंभीर लक्षण-: ● हड्डियो मे दर्द होना ● चिड़चिड़ापन होना ● गुस्सा अधिक आना ● शरीर मे गर्माहट महस

केवल इलैक्ट्रोहोम्योपैथिक चिकित्सको के लिए

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  रोग व लैब टेस्ट आज हम बात करेंगे बुखार व उससे संबंधित लैब टेस्ट के बारे मे क्योंकि लैब टेस्ट से रोग के सही निदान मे सटीक जानकारी प्राप्त होती है । अगर किसी रोगी को हल्का या तेज बुखार बार-बार आता है तब चिकित्सक को बीमारी का सही निदान करने के लिए कुछ लैब टेस्ट कराने पड सकते है । सबसे ज्यादा मौसम परिवर्तन पर आने वाले बुखार ही मनुष्य को प्रभावित करते है ,वैसे अधिकतर बुखार स्वतः ही ठीक हो जाते है परन्तु कुछ जिद्दी बुखार मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण तीव्र रूप धारण कर लेते है अतः इस तीव्रता से बचने के लिए बुखार की शुरुआत मे ही टेस्ट करा लेने चाहिए। बुखार के सबसे अधिक जो कारण है वह इस प्रकार है -: टायफाइड, मलेरिया ,डेंगू, गले का संक्रमण, पेशाब नली का संक्रमण, वायरल बुखार आदि। असल मे सही जांच से रोग के निदान मे बडी हेल्प मिलती है और चिकित्सक भी  सही जांच होने पर उपयुक्त मेडिसिन सलेक्ट कर रोगी को दे सकते है । रोग व लैब टेस्ट वायरल फीवर-: इसमे ठंड लगकर बुखार आता है ओर रोगी के पूरे शरीर मे दर्द होता है । इस रोग को पहचानने के लिए लैब टेस्ट मे ब्लड के सैम्पल से एंटीजन -

वेरीकोज वेन्स कारण, लक्षण और उपचार

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  क्या है वेरीकोज वेन्स  ? ये वे रक्त वाहिकाये होती है जो रक्त को ह्रदय की ओर ले जाती है । इनके अन्दर अशुद्ध रक्त होता  है जो त्वचा के नीचे नीले रंग की नसो मे बहता है । यह रक्त आक्सीजन रहित होता है तथा आक्सीजन प्राप्ति के लिए ह्रदय से होता हुआ फेफडो मे जाता है वहा से शुद्ध होकर आक्सीजन प्राप्त कर फिर ह्रदय से होता हुआ लाल चमकदार रंग मे परिवर्तित होकर पूरे शरीर मे पहुंच जाता है । यह प्रक्रिया आपके शरीर मे लगातार चलती रहती है। आपने कभी अपनी त्वचा पर ध्यान दिया होगा तो आपने देखा होगा कि त्वचा के नीचे नीले रंग की नसे होती है जो अशुद्ध रक्त से भरी होती है तथा जब इन नसो पर रक्त का दबाव पडता है और किन्ही कारणो से रक्त आगे की ओर नही बढ पाता है या रूकावट आ जाती है तो यह नसे बढने लगती है और फूलकर मोटी हो जाती है इन्ही नसो को वेरीकोज वेन्स कहते है । वेरीकोज वेन्स के लक्षण-: • नीली व बैंगनी नसे • मांसपेशियो मे एठन • पैरो मे सूजन व भारीपन • पैरो मे टेढ़ी- मेढ़ी रस्सी जैसी नसे • लगातार खडे या बैठकर कार्य करने के बाद पैरो मे असहनीय दर्द • नसो के आसपास खुजली होना वेरीकोज वेन्स का कारण -: वेरीक

इलैक्ट्रोहोम्योपैथिक मेडिसिन से कोलेस्ट्रॉल का समाधान

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आज हम बात करेंगे कोलेस्ट्रॉल के बारे मे कोलेस्ट्रॉल एक मोम जैसा पदार्थ है , जो मनुष्य के यकृत से उत्पन्न होता है और रक्त के माध्यम से पूरे शरीर के मौजूद रहता है।कोलेस्ट्रॉल शरीर मे विटामिन डी ,पित्त और हार्मोन्स का निर्माण करता है । मानव शरीर मे कोलेस्ट्रॉल के लगभग 25% हिस्से का उत्पादन यकृत के द्वारा होता है । कोलेस्ट्रॉल के द्वारा निर्मित किए गए हार्मोन्स व पित्त मानव शरीर को  वसा को  पचाने मे  मदद करते है । कोलेस्ट्रॉल रक्त मे प्रोटीन व वसा से बने संरचनात्मक द्रव रूप मे मौजूद रहता है । इसे लिपोप्रोटीन भी कहा जाता है कोलेस्ट्रॉल को मुख्यतः दो प्रकार से विभाजित किया जाता है -: ● HDL (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन) ● LDL (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन) HDL मे प्रोटीन अधिक होता है तथा इसे अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है । और  LDL मे प्रोटीन की तुलना मे फैट अधिक होता है तथा इसे बुरा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है । HDL का ज्यादा हिस्सा प्रोटीन से बना होता है ओर इसका मुख्य कार्य कोशिकाओ से कोलेस्ट्रॉल को लेना और नष्ट करने के लिए लीवर के पास ले जाना होता है । इस कार्य से शरीर मे से कोलेस्ट्रॉल साफ होता ह

एसिडिटी से छुटकारा इलैक्ट्रोहोम्योपैथी का सहारा

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आज हम बात करेंगे एसिडिटी के बारे मे इस समस्या से लगभग सभी को अपने जीवन मे कभी न कभी सामना करना ही पडता है , यह रोग पाचन तंत्र की खराबी के कारण पैदा होता है । एसिडिटी के होने पर दिखाई देने वाले लक्षण-: ¤ पेट मे जलन होना ¤ खट्टी डकारे आना ¤ सर दर्द करना ¤ पेट का फूलना ¤ पेट दर्द होना ¤ उबकाई आना ¤ जी मिचलाना ¤ मुँह का स्वाद कडवा रहना ¤ अत्यधिक डकारे आना ¤ सीने मे जलन होना एसिडिटी की शुरुआत के कई कारण हो सकते है जैसे -: • तेज मसालेदार भोजन करना • चाय या काफी ज्यादा पीना • तीखे व चटपटे पदार्थो का सेवन • पान मसाला खाना • शराब पीना कई बार एसिडिटी की समस्या ज्यादा देर भूखे रहने के कारण भी हो जाती है। तथा और भी अन्य कई कारण है जो एसिडिटी की समस्या को उत्पन्न करते है ,जैसे -: काफी लम्बे समय तक एलोपैथिक मेडिसिन का प्रयोग या नमक का अधिक सेवन करना ,खाना खाते ही सो जाना , तनाव लेना आदि।  कभी-कभी गर्भवती महिलाओ को भी एसिड रिफ्लक्स की समस्या हो जाती है । आज के समय मे खेती मे प्रयोग किये जाने वाले कीटनाशक, उर्वरक, यूरिया तथा जहरीले रासायनिक जो फसलो व खाद पदार्थो मे उनकी सुरक्षा के लिए प

क्या आपका बच्चा भी सोते समय बिस्तर गीला करता है हर्बल इलैक्ट्रोहोम्योपैथी मे है समाधान

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आज हम आपको बतायेंगे एक ऐसी समस्या के बारे मे जिसका अगर समय रहते इलाज न कराया जाये तो यह रोग बच्चे के जवान होने पर भी उसको कष्ट दे सकता है। इस समस्या मे बच्चे सोते समय बिस्तर को गीला कर देते है ।जब बच्चा छोटा होता है तब तो माता -पिता इतना ध्यान नही देते परन्तु जब बच्चा बडा हो जाता है तो इस रोग को लेकर चिंतित हो जाते है । इस रोग मे पेशाब बिना इच्छा के अचानक से निकल जाता है ,यह रोग अधिकतर छोटे बच्चो को होता है। कुछ बच्चे रोज व कुछ बच्चे कभी - कभी रात्रि मे सोते समय बिस्तर पर ही पेशाब कर दिया करते है।  कुछ बच्चो का तो  खाना खाते समय या खेलते समय भी अचानक से पेशाब निकल जाता है। शुरुआत मे तो घर के सभी लोग यही सोचते है की बच्चा छोटा है जिस कारण उनका इस रोग की ओर ध्यान ही नही जाता परन्तु जैसे -जैसे बच्चा बडा होता है लगभग 10 या 12 साल का और फिर भी उसका कपडो मे ही पेशाब निकल जाता है या सोते समय अनजाने मे बिस्तर पर ही पेशाब निकल जाता है तब बच्चा तो शर्मिन्दगी महसूस करता ही है, परन्तु माता - पिता को भी चिंता होने लगती है । बिस्तर पर या कपडो मे पेशाब निकलने के कारण - • मूत्राशय की निर्बलता • मलद