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चिकन पॉक्स और इलैक्ट्रोहोम्योपैथिक इलाज

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क्या है ? चिकन पॉक्स (Chicken Pox ) चिकन पॉक्स को छोटी माता या चेचक के नाम से भी जाना जाता है। यह मुख्यतः वैरिसेला नामक वायरस से फैलता है, और सामान्यतः बच्चों को व्यस्कों की तुलना में अधिक प्रभावित करता है।  आमतौर पर चिकन पॉक्स दिसम्बर माह से फरवरी माह तक  सबसे ज्यादा फैलता है और कई बार यह संक्रमण सालभर रहता है। चिकन पॉक्स के मुख्य लक्षण : चिकन पॉक्स के मुख्य लक्षणों में मुख्यतः छोटे छोटे, द्रव से भरे फफोले के साथ खुजली होना सम्मलित हैं । चिकन पॉक्स होने पर त्वचा के ऊपर मसूर के दाल के साइज़ के छोटे छोटे दाने मरीज के शरीर पर हो जाते हैं। यद्धपि यह एक खतरनाक बीमारी है परन्तु अगर सही समय पर इसके लक्षणों की पहचान करके इसका सही इलाज करा लिया जाये तो यह आसानी से ठीक हो जाती है और जान का खतरा नहीं रहता। सामान्यतः चिकन पॉक्स संक्रमण वायरस के संपर्क में आने के 10 से 21 दिन तक होता है और 5-10 दिन तक रहता है। छोटे, द्रव से भरे फफोले के साथ खुजली होना इसका मुख्य लक्षण है, इसके अतिरिक्त इसके लक्षण बच्चों और व्यस्कों में अलग अलग होते हैं। चिकन पॉक्स के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं- • बुखार •

क्या इलैक्ट्रोहोम्योपैथी मे थैलेसीमिया का उपचार कारगर है ?

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  क्या है थैलेसीमिया ?  थैलेसीमिया  यह एक अनुवांशिक रक्त रोग हैं। इस रोग के कारण रक्त / हीमोग्लोबिन निर्माण के कार्य में गड़बड़ी होने के कारण रोगी व्यक्ति को बार-बार रक्त चढ़ाना पड़ता हैं। भारत में हर वर्ष 7 से 10 हजार बच्चे थैलेसीमिया  से पीड़ित पैदा होते हैं। यह रोग न केवल रोगी के लिए कष्टदायक होता है बल्कि सम्पूर्ण परिवार के लिए कष्टों का सिलसिला लिए रहता हैं। यह रोग अनुवांशिक होने के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार में चलता  रहता हैं। इस रोग में शरीर में लाल रक्त कण / रेड ब्लड सेल(R.B.C) नहीं बन पाते है और जो थोड़े बन पाते है वह केवल अल्प काल तक ही रहते हैं। थैलेसीमिया  से पीड़ित बच्चों को बार-बार खून चढाने की आवश्यकता पड़ती है और ऐसा न करने पर बच्चा जीवित नहीं रह सकता हैं। इस बीमारी की सम्पूर्ण जानकारी और विवाह के पहले विशेष एहतियात बरतने पर हम इसे आनेवाले पीढ़ी को होने से कुछ प्रमाण में रोक सकते हैं। थैलेसीमिया क्यों होता हैं ? थैलेसीमिया  यह एक अनुवांशिक रोग है और माता अथवा पिता या दोनों के जींस में गड़बड़ी के कारण होता हैं। रक्त में हीमोग्लोबिन दो तरह के प्रोटीन से बनता है - अल्फा  और बीटा

पैरालिसिस और इलैक्ट्रोहोम्योपैथी

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  क्या है पैरालिसिस ?  अन्य अंगों की तरह मस्तिष्क को भी सही तरीके से काम करने के लिए लगातार रक्त की आपूर्ति की जरूरत पड़ती है जिसमें ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की मात्रा होती है। जब मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति बाधित हो  जाती  है तो मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं जिसके कारण मस्तिष्क डैमेज हो  जाता  है और व्यक्ति को  लकवा  लग  जाता  है। इसे कई नामो से जाना जाता है जैसे पैरालिसिस, लकवा ,फालिस आदि यह कई प्रकार का होता है वैसे इसके विशेष चार प्रकार है - 1. General paralysis इस प्रकार का फालिस सारे शरीर मे होता है । और रोगी पूरे शरीर को हिला डुला नही सकता । 2. Hemipegia यह शरीर की लम्बाई मे आधे हिस्से मे होता है और जिस तरफ होता हे रोगी की उस तरफ की शरीर को हिलाने डुलाने की व स्पर्श शक्ति चली जाती है। 3. Facial paralysis चेहरे का फालिस यह रोगी के चेहरे की किसी एक ओर की मांसपेशियो को प्रभावित करता है और एक ओर से चेहरा टेढा हो जाता है । 4. Local paralysis यह फालिस शरीर के किसी एक अंग मे होता है ओर जिस अंग मे होता है रोगी उस अंग को हिला नही पाता । पैरालिसिस के मरीज क्या खाएं पैरालिसिस के म

डायलिसिस और इलैक्ट्रोहोम्योपैथी

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  किडनी मूत्राशय तंत्र के सबसे महत्वपूर्ण भाग है। प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में दो किडनी होती हैं जो कि कमर के विपरीत हिस्सों और छाती के नीचे मौजूद होती है। यूरिनरी सिस्टम में अन्य जरूरी भाग युरेटर होते हैं जो कि संख्या में दो होते हैं और किडनी को यूरिनरी ब्लैडर से जोड़ते हैं जहां शरीर का सारा यूरिन संचित होता है। स्वस्थ किडनी शरीर से सारे अपशिष्ट पदार्थ को फ़िल्टर करती है और अतिरिक्त पानी को निकाल कर यूरिन बनाती है। साथ ही किडनी कुछ जरूरी हार्मोन भी बनाती है जो कि रक्तचाप, हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम का अवशोषण और लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण को नियंत्रित करते हैं।  जब आपकी किडनी कुछ कारणों से ठीक तरह से कार्य नहीं कर पाती हैं तो इससे शरीर में अपशिष्ट पदार्थ और अत्यधिक पानी जमा हो सकता है। ऐसे मामलों में डायलिसिस किया जाता है जब व्यक्ति के शरीर में अत्यधिक पानी, अपशिष्ट या विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं तो उन्हें रक्त से  निकालना पड़ता है। क्या है डायलिसिस ? हमारी किडनी रक्त से अतिरिक्त अपशिष्ट पदार्थ व पानी निकालती है। वे ऐसे हॉर्मोन का स्त्राव भी करती हैं जो रक्त चाप को नि