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डायबिटीज के रोगियो के लिए रामबाण है ये

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  लौकी डायबिटीज के रोगियों के लिए सबसे फायदेमंद मानी जाती है। इसमें 90 प्रतिशत पानी होता होता है और 10 प्रतिशत फाइबर की मात्रा होती है। इसमें शुगर और ग्लूकोज की मात्रा ना के बराबर होती है जो कि डायबिटीज के रोगियों के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि रोजाना डाइट में लौकी को शामिल करने से ब्लड शुगर में कमी आती है। एक अध्ययन में ये पाया गया कि लौकी में मौजूद तत्व इंसुलिन की प्रतिरोधकता को बढ़ाने और इंसुलिन की संवेदनशीलता को कम करने का काम करते हैं। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि रोजाना डाइट में लौकी को शामिल करने से ब्लड शुगर में कमी आती है। डायबिटीज आज एक ऐसी बीमारी बन चुका है जो विश्व भर में मृत्यु का एक बड़ा कारण है।  डायबिटीज को दवाइयों के द्वारा नियंत्रण में रखना थोड़ा महंगा है। इसलिए खानपान में बदलाव से हम अपने ब्लड शुगर को नियंत्रण में रख सकते हैं। लौकी सिर्फ ब्लड शुगर को ही कम नहीं करती बल्कि इसके कई और भी फायदे हैं।   शरीर को ठंडक प्रदान करती है लौकी-  शरीर को ठंडक प्रदान करने में लौकी का अहम योगदान है। अगर इसे सब्जी के रूप में खाया जाए तो

चेहरा दे सकता है हाई कोलेस्ट्रॉल का सिग्नल

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  जी हाॅ आपका चेहरा व स्किन दे सकती है हाई कोलेस्ट्रॉल का सिग्नल, इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज आज के समय में किसी के पास इतना वक्त नहीं है कि घर का बना हुआ अच्छा और स्वास्थ्यवर्धक (Healthy) खाना खा सके। इसका नतीजा यह है कि हमारे हार्ट पर इसका गलत प्रभाव पड़ता है , कुछ हद तक कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का कारण यह भी है कि लोग अपनी सेहत की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। लोग काम में व्यस्त हैं लेकिन दिल की सेहत के लिए लोगों के पास वक्त की कमी हो चुकी है। कुछ ऐसे सामान्य लक्षण हैं जो आपको बताएंगे कि आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ चुका है और आपको इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। हाई कोलेस्ट्रॉल एक गंभीर समस्या है,  इसका  कोई प्रमुख लक्षण नहीं होता है।हाई कोलेस्ट्रॉल के रोगी को यह एहसास भी नहीं हो पाता है कि उसके स्वास्थ्य मे कुछ गडबडी आयी हैं , अमेरिकन एकेडमी ऑफ डार्मेटोलॉजी एसोसिएशन के मुताबिक, आपकी त्वचा हाई कोलेस्ट्रॉल के स्तर के बारे में गंभीर संकेत दे सकती है। हाई कोलेस्ट्रॉल के स्तर को अगर समय पर मैनेज नहीं किया जाता है, तो यह  धमनियों में रुकावट पैदा कर सकता है। जिससे दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सक

सौंफ वाले दूध के फायदे जानकर आश्चर्य चकित हो ?

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  जिस प्रकार सौंफ आपको कई तरह से फायदा पहुंचाता है,वैसे ही सौंफ वाला दूध भी आपको कई बीमारियों से बचाएगा ,सौंफ में कैल्शियम, मैग्नीशियम और मैंगनीज की भरपूर मात्रा होती है। सौंफ वाला दूध मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है • इम्युनिटी मजबूत होती है। • हड्डियों और दांतों को मजबूत रखता है। सौंफ खाना आपको कई तरह से फायदा पहुंचाता है, लेकिन अगर आप बस चुटकी भर सौंफ को दूध में  मिलाकर पीते हैं, तो इससे आपको कई और हेल्थ बेनिफिट्स मिलेंगे। दूध पीने से इम्युनिटी मजबूत होती है ,और इसमें मौजूद पोषक तत्व सेहत के लिए फायदेमंद हैं, वहीं सौंफ खाना भी आपको सिर्फ पोषण नहीं देता, बल्कि कई बीमारियों से बचाता है। दूध में प्रोटीन और कैल्शियम की भरपूर मात्रा होती है,वहीं सौंफ में भी कैल्शियम, मैग्नीशियम और मैंगनीज की भरपूर मात्रा होती है। ये हड्डियों और दांतों को मजबूत रखता है। सांस से जुड़ी प्रॉब्लम   के लिए  अगर आपको सांस से जुड़ी कोई हेल्थ प्रॉब्लम है, तो सौंफ और दूध को मिलाकर पीने से ठीक हो जाएगी। दूध में सौंफ मिलाकर पीने से इम्युनिटी मजबूत होती है। इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण आपको कई बीमारियों से बचाते

Electrohomoeopathy treatment

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  इलेक्ट्रो होमियोपैथी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति हैं,जिसने चिकित्सा जगत में एक अविश्वसनीय क्रांति पैदा कर दी हैं। कारण की वर्तमान में ज्यादातर रोगी भिन्न भिन्न प्रकार की दवाइयां खा कर परेशान हो रहें है,और उन्हें एक बीमारी के बदले दूसरी बीमारी उपहार में मिल रही हैं तथा प्रचलित चिकित्सा पद्धतियों की तुलना में इलेक्ट्रो होमियोपैथी हानिरहित होने के साथ-साथ तत्काल प्रभाव शाली हैं।  परिचय इलेक्ट्रो होमियोपैथी एक स्वतंत्र व सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति हैं जो विश्व के अनेक देशों में विकल्प के रूप में अपनाई जा रही हैं,यह मूलतः इटली की पद्धति हैं जिसका आविष्कार सन 1865 में डॉ काउंट सीजर मैटी ने किया, डॉ मैटी ने इस पद्धति के नाम में तीन शब्दों का प्रयोग किया जिसमें “इलेक्ट्रो” शब्द का अर्थ त्वरित या बिजली से लिया गया जो वनस्पति विद्युतीय शक्ति को तथा दवा की कार्य प्रणाली को इंगित करता हैं। “होमियो” शब्द शरीर की संतुलनावस्था अर्थात ‘होमियोस्टेटिस’ पर केंद्रित है और “पैथी” शब्द चिकित्सा विज्ञान की ओर इंगित करता हैं। अतः इलेक्ट्रो होमियोपैथी वह पद्धति है जिसमे वनस्पतीय औषधियों की तीब्र कार्य प्रणाली से

benefits of cow's milk

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 गाय के दूध के फायदे आज हम आपको बताने जा रहे है गाय का दूध कितना फायदेमंद हो सकता है । हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार गाय को माॅ का दर्जा दिया गया है क्योंकि हिन्दुओ की मान्यताए आस्था के साथ -साथ साइंटिफिक भी है तो आइए जानते है गाय के दूध के क्या फायदे है । पाचन में सहायक गाय का दूध आपको बदहजमी से बचाने में मदद कर सकता है। दरअसल, गाय के दूध में विटामिन बी-12 पाया जाता है। यह विटामिन पाचन की प्रक्रिया में मदद करता है। दूध के प्रति कप में 1.2mg विटामिन बी-12 होता है। एक दिन में वयस्कों को 2.4mg विटामिन बी-12 की जरूरत होती है ,यानी एक कप दूध आपके शरीर में विटामिन बी-12 की आधी जरूरत को पूरा कर देता है । वहीं गाय के दूध का लगभग 80% प्रोटीन कैसिइन (casein) होता है, जो पूरे शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट को पहुंचाता और पाचन में सहायता करता है। इसलिए कहा जा सकता है कि गाय के दूध का सेवन करने से खाना अच्छे से हजम हो सकता है। कैंसर से बचाव माना जाता है कि कैंसर के इलाज में भी गाय के दूध का सेवन फायदेमंद होता है। दरअसल गाय के  दूध में विटामिन-डी उच्च मात्रा में पाया जाता है  जो कैंसर के खतर

भूने चने के फायदे ।

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  भुना चना एक ऐसा आहार है जिसका सेवन ज्यादातर लोग करते हैं। खास बात है कि ये ज्यादा महंगा भी नहीं होता तो हर कोई इसे खरीदकर आसानी से खा सकता है। कई लोगों को तो भुना चना इतना ज्यादा पसंद होता है कि वो रोजाना करीब एक कटोरी इसका सेवन करते हैं। भुने चने में कई पोषक तत्व होते हैं। जैसे कि कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और प्रचुर मात्रा में विटामिन। ये सभी सेहत के लिए अच्छे होते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो एक सेहतमंद व्यक्ति को रोजाना कम से कम 50 से 60 ग्राम तक भुने चने का सेवन करना चाहिए। ये आपको कई बीमारियों से बचाने में मदद करेगा । बढ़े वजन को कम करने में असरदार आजकल ज्यादातर लोग बढ़े वजन से परेशान हैं। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो भुने चने को डाइट में शामिल करें। इसमें अधिक मात्रा में प्रोटीन और फाइबर होता है। फाइबर पेट को लंबे वक्त तक भरा रखता है जिससे कि आपको जल्दी भूख नहीं लगती है, और वजन अपने आप कम होने लगता है।  डायबिटीज  के लिए फायदेमंद शुगर पेशेंट के लिए भी भुने चने का सेवन करना लाभकारी होता है। ये ग्लूकोज को अवशोषित कर लेता है जिसकी वजह से ब्लड शुगर लेवल

क्या आपको भी ज्यादा पसीना आता है ?

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  क्या आपको भी ज्यादा पसीना आता है ? पसीना आना एक नेचुरल प्रक्रिया है।जब भी आप गर्म वातावरण में होते हैं, फिजिकल एक्टिविटी करते हैं, स्ट्रेस ( Stress ) में होते हैं या फिर गुस्सा या डर का सामना कर रहे होते हैं तो आपको पसीना आना नॉर्मल सी बात है।लेकिन अमेरिकन एकैडमी ऑफ डर्मेटॉलजी से जुड़े डर्मेटॉलजिस्ट बेन्जामिन बारान्किन कहते हैं, 'ज्यादातर मौकों पर लोगों के लिए यह अंतर करना मुश्किल होता है कि उन्हें सामान्य रूप से पसीना आ रहा है या फिर किसी कारण या बीमारी की वजह से लेकिन हाइपरहाइड्रोसिस यानी बहुत अधिक पसीना आने की समस्या उन लोगों को होती है जिन्हें ठंडे वेदर में, बिना कोई फिजिकल एक्टिविटी किए या फिर बिना किसी अन्य स्पष्ट कारण के दूसरों से ज्यादा पसीना आता है। कुछ अन्य कारण भी हो सकते है जैसे : मेनोपॉज (Menopause) या रजोनिवृत्ति  (महिलाओे में पीरियड्स बंद हो जाने के बाद की स्थिति) थायराइड (Thyroid):  जब किसी मरीज को हाइपोथायरॉयडिज्म की बीमारी हो जाती है तो उसका शरीर हीट और गर्मी के प्रति बेहद संवेदनशील हो जाता है और इस वजह से बहुत अधिक पसीना आने की दिक्कत होने लगती है। डायबि

electrohomoeopathy treatment in all diseases

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  इलेक्ट्रो होम्योपैथी में असाध्य बीमारियों का इलाज संभव क्या आप दवाये खा खा कर थक चुके है तो एक बार अपने नजदीकी इलैक्ट्रोहोम्योपैथिक डाॅ से अवश्य संपर्क करे । आशा है आप निराश नही होगे । आइये पहले संक्षिप्त मे जाने आखिर ये पैथी क्या है । इस पैथी के जन्म दाता डाॅ काउन्ट सीज़र मैटी थे। इस पैथी के अनुसार मानव शरीर मे मौजूद दो तत्व रस व रक्त के अशुद्ध होने पर इम्यूनिटी पावर कमजोर हो जाती है और रोग मानव शरीर को घेर लेते है अतः इस चिकित्सा विज्ञान मे इन दोनो तत्वो को ही शुद्ध करने का कार्य किया जाता है । इसमें अर्क को लिक्विड  के रूप में देते हैं। इस पैथी के नाम से लोगों में भ्रम होता है कि इसमें बिजली से इलेक्ट्रिक शॉक देते होंगे। लेकिन ऐसा नहीं है। इसमें हर तरह की बीमारियों का हब्र्स से इलाज होता है।  इसमें दवा बनाने का तरीका बिल्कुल अलग होता है। जिस पौधे का अर्क निकालना होता है उस पौधे को एक कांच के जार में पानी के साथ रख देते हैं। हर सप्ताह पुराने पौधों को निकाल दिया जाता है और दूसरा नया पौधा उसमें डाल देते हैं। यह प्रक्रिया करीब 35-40 दिन तक चलती है। फिर उस पानी को फिल्टर किया जात

शराब की लत कैसे छुडाये

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शराब की लत से छुटकारा पाने के हर्बल नुस्खे  तुलसी की कोमल पत्तियों को रोजाना सुबह-सुबह चबायें। इससे आपके शरीर और मन के अंदर की सभी गंदगी साफ होंगी और धीरे-धीरे आप खुद ही शराब से दूर होने लगेंगे। करेले के पत्तों का रस निकाल कर, इसे दो चम्मच छांछ में मिलाकर रोजाना सुबह खाली पेट पियें। यह नुस्खा आपकी बॉडी से विषैले पदार्थ को बाहर निकाल देगा और आपकी शराब पीने की इच्छा को भी कम कर देगा। जब भी शराब पीने की इच्छा परेशान करे, तो आप एक काम करें। एक चम्मच शहद में अदरक की 2 से 3 बूँदें मिलाकर सेवन करें। तुरन्त आपकी शराब पीने की इच्छा मर जायेगी। एक और सबसे आसान उपाय करें कि आप रोजाना अंगूर खायें, क्योंकि शराब अंगूर से ही बनी होती है, इसलिए इसे खाने से खुद-ब-खुद आपकी शराब की आदत छूट जायेगी। 5 ग्राम अजवाइन को एक गिलास पानी में डालकर अच्छे से उबालें, जब तक पानी की मात्रा आधी ना रह जाये। इसके बाद इस पानी को ठंडा होने पर इस पानी को पिएं। धीरे-धीरे आपकी शराब की लत छूट जायेगी। इन नुस्खों के अलावा आप कुछ बातों का ध्यान रखें जैसे- खुद को व्यस्त रखें, ताकि आपको शराब पीने के लिए समय ही ना मिल सके, एकांत में

सेहत कैसे बनाए? रोगो से है परेशान ?

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  रोगो से है परेशान ? ये है समाधान।  आज के समय मे देखा जाये तो हर व्यक्ति रोगी है मंहगा खान पान नियमित जिम व वर्क आउट के बाद भी हर मनुष्य परेशान व बीमार है पहले समय मे 100 मे से एक व्यक्ति बीमार देखने को मिलता था परन्तु आज की भाग दौड भरी जिन्दगी मे हर दुसरा व्यक्ति बीमार है चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक आईये जानते है इसका कारण  जिस प्रकार प्रकृति को प्रदूषित करने से पर्यावरण संतुलन बिगड जाता है ठीक उसी प्रकार मनुष्य शरीर भी प्रकृति के पाच तत्वो से मिल कर बना है और इस शरीर को भी प्रदूषित करने से शरीर का संतुलन बिगड जाता है और मनुष्य रोगी हो जाता है आप जितना प्राकृतिक रहेगे उतना स्वच्छ व स्वस्थ रहेगे प्राकृतिक रहने के लिए आपको शाकाहारी भोजन व शुद्ध भोजन अपनाना होगा । अपने भोजन मे मौसमी फल व हरी पत्तेदार सब्जियो को व अंकुरित दालो को अपनाना होगा ,मगर ध्यान रहे ये सभी जैविक खेती से तैयार की गई हो । क्योकि अन्य तरीको से तैयार की गई सब्जियो मे जहरीले पेस्टीसाइड का इस्तेमाल किया जाता है जो मानव शरीर के लिए काफी नुकसानदायक है ।(पेस्टीसाइड का प्रयोग ज्यादा पैदावार व जल्दी उत्पादन के लिए किया जाता