टॉन्सिल स्टोन और इलैक्ट्रोहोम्योपैथी
टॉन्सिल एक ग्रंथि जैसी दिखने वाली संरचना होती है। शरीर में दो टॉन्सिल होते हैं, जो गले के पिछले हिस्से में दोनों तरफ होते हैं। टॉन्सिल्स वायरस व बैक्टीरिया को मुंह व गले के माध्यम से शरीर के अंदर जाने से रोकते हैं और आपके शरीर को रोगों से बचाने का काम करते हैं। टॉन्सिल में एक स्पंज की तरह छेद व दरारें होती हैं। इन दरारों व छेदों में बैक्टीरिया, भोजन के टुकड़े, डेड स्किन सेल्स और बलगम जमा होकर एक कठोर गांठ बन जाती है, जिसे “टॉन्सिल स्टोन” या "टॉन्सिल में सफेद दाना होना" कहा जाता है।
कुछ लोगों को टॉन्सिल स्टोन हो जाने के बावजूद भी महसूस नहीं होता है कि उनको यह समस्या हो गयी है। कुछ मामलों में टॉन्सिल को देख पाना काफी मुश्किल हो सकता है, ये आकार में एक चावल के दाने से लेकर एक अंगूर जितने बड़े हो सकते हैं। कई बार टॉन्सिल स्टोन का आकार काफी बड़ा हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप टॉन्सिल में भी काफी सूजन और इनमें से बदबू भी आने लग जाती है। टॉन्सिल स्टोन होने से मुंह से बदबू आना, दम घुटना, निगलने में कठिनाई और कान में दर्द होने जैसे लक्षण पैदा हो जाते हैं।
क्या है टॉन्सिल स्टोन ?
टॉन्सिल स्टोन को “टॉन्सिलोइथ्स” (Tonsilloliths) कहा जाता है। टॉन्सिल के अंदर छेदों व दरारों में जमा होने वाले बैक्टीरिया व भोजन के टुकड़ों से मिलकर बनता है। टॉन्सिल के अंदर जमा ये मिश्रण सख्त और सफेद रंग का होता है, इसलिए इस स्थिति को टॉन्सिल में सफेद दाना होना या टॉन्सिल स्टोन कहा जाता है।
लक्षण
• ऐसा महसूस होना जैसे आपके मुंह या गले के पिछले हिस्से में कुछ अटक गया हो
• मुंह से बदबू आना
• टॉन्सिल में सफेद व पीले रंग का मैल फंस जाना
• लगातार खांसी रहना
• टॉन्सिल में सूजन हो जाना
• कानों में दर्द व दबाव महसूस होना
• गले में दर्द होना
• निगलने में कठिनाई
• कुछ अन्य लक्षण जैसे मुंह में धातु जैसा स्वाद होना, गले में जकड़न होना, गला बंद होना या खांसी होना
बचाव
•रोजाना दातो की अच्छे से साफ सफाई करनी चाहिए ।
•नमक पानी व इलैक्ट्रोहोम्योपैथिक की मेडिसिन से गरारा करना चाहिए।
•अगर समस्या ज्यादा हो तो टॉन्सिल स्टोन को निकलवा देना चाहिए।
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