पित्त की पथरी और इलैक्ट्रोहोम्योपैथिक उपचार ?

 



एक उचित वजन बनाए रखना पित्त की पथरी को कम करने का सबसे सही तरीका है। नियमित व्यायाम और कम कैलोरी वाला आहार पथरी को दूर रखने में मदद करता है। भूखा रहने से बचें क्योंकि इससे पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा जो लोग अपना वजन कम करने का प्रयास करते हैं, वे इसे बहुत तेज़ी से नहीं करें वह अपना लक्ष्य 500 ग्राम से 1 किलोग्राम/सप्ताह कम करने  का रखे । 



पित्त की पथरी कैसे बनती है  : 



पित्त के बिना पाचन क्रिया की शुरुवात नहीं हो सकती क्योकि गॉल ब्लैडर और लीवर के मध्य बाइल डक्ट नामक एक छोटी सी नली होती है । यह नली गॉलब्लेडर को पित्त तक पहुँचाने का काम करती है। जैसे ही व्यक्ति के शरीर में भोजन जाता है वैसे ही यह नली पित्त को एक छोटी आंत के उपयुक्त हिस्से में भेज देती है। यहाँ से आरम्भ होती है पाचन क्रिया - खाना पचने के लिए हमे Bile जूस की आवशयकता होती है, ये Bile जूस लिवर में बनता है और पित्ताशय का काम होता है की इसे भोजन से पहले संग्रहित करना, जिस कारण से भोजन से पहले ये पित्ताशय पूर्ण रूप से भरा होता है । भोजन के बाद , पित्ताशय बिलकुल खाली हो जाता है क्योंकि इसके द्वारा संग्रहित किया गया जूस भोजन को पचाने के लिए काम आता है।  इसलिए पित्ताशय लिवर के नीचे पाया जाता है। जब Bile जूस पूरी तरह से पित्ताशय से खाली होने में असमर्थ होता है, तो ये तरल पदार्थ कठोर रूप में पित्ताशय में जम जाते है। जब पित्ताशय की पथरी का जन्म होता है, तो यह आकार में बहुत ही छोटी होती है।  परन्तु जैसे ही इस पथरी पर लंबे समय तक ध्यान नहीं दिया जाता, तो इसका आकर बहुत तेजी से बढ़ने लगता है।  जितना बड़ा आकर होगा, उतना ज़्यादा दर्द और असहजता होगी।  




लक्षण: 


पित्ताशय की पथरी होने पर अधिकतर कुछ लक्षण दिखाई देते है परन्तु कुछ मामलो मे बिना लक्षण दिखाई दिये भी व्यक्ति को समस्या हो सकती है । 


• बदहजमी 


• खट्टी डकार 


• उल्टी 


• बहुत ज़्यादा पसीना आना 


• पेट फुलना 


• एसिडिटी 


• पेट में भारीपन 


• पेट मे दाई ओर पसलियो ने नीचे असहनीय दर्द होना । 



उपचार : 


ज्यादातर मामलो मे शल्य क्रिया के द्वारा पित्त की थैली को ही निकाल दिया जाता है परन्तु अगर समय रहते पता चल जाये की पथरी की शुरुआत हुई है तो इलैक्ट्रोहोम्योपैथिक मेडिसिन के द्वारा बिना किसी साइड इफैक्ट्स के पथरी गल जाती है । 

इलैक्ट्रोहोम्योपैथिक मेडिसिन हर्बल व हानिरहित होती है ।

S5+F1+C10+R.E 2nd dilution 

Before meal 

S2+S10+W.E after meal 


F2+C5+W.E स्थान नं 24 पर मले । 

¤ एक गिलास हलके गुनगुने पानी मे एक चम्मच बादाम का तेल + एक चम्मच आलिव आयल + एक चम्मच नीबू का रस मिलाकर सुबह खाली पेट दे । 

¤ दोपहर मे एक गिलास सेव के जूस मे एक चम्मच सेव का सिरका डालकर पीने को दे । 

रोगी को हल्का सुपाच्य भोजन दे। 

नोट - सभी मेडिसिन का प्रयोग अपने इलैक्ट्रोहोम्योपैथ चिकित्सक से परामर्श के बाद ही सेवन करे । 







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