काउन्ट सीज़र मैटी का जीवन परिचय

 


इलैक्ट्रोहोम्योपैथी के जन्मदाता काउन्ट सीज़र मैटी थे । इनका जन्म 11 जनवरी 1809 को इटली देश के बोलोग्ना शहर मे हुआ था ।  ये एक बडे जमींदार व धनवान व्यक्ति थे ,उन्होने रोम के शासक को देश की सुरक्षा के लिए अपनी जमीन का कुछ हिस्सा दान भी किया था । मैटी साहब कुछ समय फौज मे लेफ्टिनेंट के पद पर भी रहे तथा कुछ समय बाद मजिस्ट्रेट भी बनाये गये । उसके बाद जनता ने उन्हे रोम की पार्लियामेंट का सदस्य भी चुना , परन्तु पार्लियामेंट मे वाद - विवाद उन्हे पसन्द नही आया जिस कारण उन्होने अपने पद से इस्तीफा देकर अपने पसंदीदा विषय (चिकित्सा शास्त्र) का अध्ययन करने लगे ।

डाॅ काउन्ट सीज़र मैटी साहब 


काउन्ट सीज़र मैटी को चिकित्सा शास्त्र से बडा प्रेम था । उन्होने शरीर रचना विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, विकृति विज्ञान व अंततः वनस्पति अर्क मे बिजली की कथित चिकित्सीय शक्ति पर ध्यान केन्द्रित किया ।उनको हैनिमैन साहब के सिद्धांत भी पसन्द आये ,मैटी साहब ने पैरासैलसस (Paracelsus) के साहित्य को भी पढा ,पैरासैलसस पन्द्रहवी शताब्दी मे  स्विट्जरलैंड मे पादरी के पद पर थे और वे रोगियो का इलाज भी करते थे ।पैरासैलसस ने दवाओ को स्पेजरिक ऐसेंस से बनाया था । डाॅ. मैटी को पैरासैलसस की पद्धति पसन्द आयी और इन्होने महसूस किया की कोहेबेशन विधि से बनाई गई मेडिसिन की आदि शक्ति नष्ट नही होती है ,और यह आदि -शक्ति रोगो को बहुत जल्दी ठीक करने का कार्य करती है।



डाॅ . काउन्ट सीज़र मैटी जी ने पौधो के स्पेजरिक एसेंस निकालकर आपस मे इस प्रकार मिलाया कि यह मेडिसिन पूरे चयापचय (metabolism) को बल प्रदान करके मानव शरीर को रोगो से मुक्त कर देती है । मैटी साहब ने इलैक्ट्रोहोम्योपैथी का सिद्धांत complexa complexis curuntur रखा  । पहले लगभग 12वी शताब्दी मे भारत मे भी ऋषि मुनि इसी आदि - शक्ति के सिद्धांत के आधार पर औषधियो का निर्माण कार्य करते थे । परन्तु किन्ही कारणवश इस सिद्धांत का प्रचार-प्रसार न हो सका ।





डाॅ काउन्ट सीज़र मैटी जी ने इन्ही सब बातो को ध्यान मे रखते हुए एक निर्दोष चिकित्सा शास्त्र को लिखने का प्रयत्न शुरू किया ,जो कई वर्षो के अथक प्रयास के बाद सन् 1865 ई0 के लगभग उन्हे सफलता प्राप्त हुई तथा उच्च सिद्धांतो के आधार पर दोषरहित एक नये चिकित्सा शास्त्र को लिखने मे सफल रहे ।





मैटी साहब ने अपने चिकित्सा शास्त्र को जिस तर्क के आधार पर रचा वह मनुष्य के शरीर मे उपस्थित दो पदार्थ रस व रक्त है ।  जो मनुष्य के शरीर मे प्रवाहित होते हुए चैतन्य रहते है , जिनसे शरीर के प्रत्येक सैल व अवयवो का पोषण ,उत्पादन व मलोत्सर्जन होता है। इनमे से किसी एक या दोनो के दूषित हो जाने पर शरीर मे रोग उत्पन्न हो जाते है ,अर्थात जब तक यह दोनो पदार्थ शुद्ध है तब तक कोई भी बीमारी नही हो सकती । इसी तर्क के आधार पर मैटी जी ने मेडिसिन के दो समूह तैयार किये पहला कफ् अर्थात रस  (Lymph) को दूसरा रक्त (Blood ) को शुद्ध करता है ।







डाॅ काउन्ट सीज़र मैटी जी ने अपनी लिखी पुस्तके दुनियाभर मे प्रचार-प्रसार के लिए भेजी और इसी प्रकार अपने द्वारा बनाई मेडिसिन के द्वारा हजारो रोगियो का मुफ्त इलाज भी किया । औषधियो के असीमित गुण के कारण हजारो रोगी स्वास्थ्य लाभ पाने लगे तथा मैटी साहब का यश और उनके लिखे चिकित्सा शास्त्र की चर्चा देश - विदेश मे भी होने लगी । मैटी जी को रोम के अस्पताल मे रोगियो का इलाज करने का अवसर भी वहा की सरकार ने दिया । जिस कारण मैटी साहब की औषधियो के द्वारा स्वास्थ्य लाभ पाने वाले रोगियो को देखकर वहा के अन्य चिकित्सक भी चकित रह गये।
डाॅ काउन्ट सीज़र मैटी अपने औषधालय मे हजारो रोगियो का इलाज करते थे तथा डाक के द्वारा भी औषधिया भेजकर रोगियो को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाते थे । 


डाॅ काउन्ट सीज़र मैटी साहब 

 


इसी प्रकार अपने चिकित्सा विज्ञान का प्रचार - प्रसार व मानव जाति को स्वास्थ्य लाभ देते हुए वृद्धावस्था के कारण अपना सारा कारोबार अपने दामाद को सौप दिया और स्वयं औषधिया बनाने के कारखाने की निगरानी करने लगे परन्तु वृद्धावस्था के कारण कुछ साल बाद कारखाने मे भी जाना छोड दिया और सन् 1896 ई0 मे 4सितम्बर को अपने किले मे ही वृद्धावस्था के कारण उनकी मृत्यु हो गई।  

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